"वह दलित चेतना की दिशा में ज्योति पुरूष थे। महात्मा फुले दलितों के आँगन में अकेले ही हजारों वर्ष के अंधेरे को चीरकर सुर्यरथ खींचकर लाये थे। दलित और निम्न वर्गों के लोगों में शिक्षा और चेतना की जो किरणें फुले ने बिखेरी वे आगे चलकर ज्योतिपुँज बनीं।"
बाबू जगजीवन राम
बाबू जगजीवन राम